श्रीमद्भागवत गीता में जीवन के सार के साथ सफलता का राज भी छिपा है। कहते हैं कि जिसने भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को जीवन में उतार लिया, उसे सफल होने से कोई रोक नहीं सका। महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन असमंजस में फंस गए तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश हया। कहते हैं कि गीता के उपदेशों में सफलता का मंत्र छिपा है। मान्यता है कि गीता का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति का जब जन्म होता है तो उसके हाथ खाली होते हैं। जब व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसके हाथ खाली रह जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि दुनिया में सब मोह है। कोई भी व्यक्ति किसी के साथ नहीं जाता है, जो भी इंसान से पाया गया है कि वह सब यही रहता है। मृत्यु ही जीवन का यथार्थ सत्य है। इंसान पैसों और मोह के पीछे भागते-भागते अपने रिश्तों और दोस्तों को खो देता है।
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भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मोह किसी काम का नहीं होता है। व्यक्ति को जीवन में संतोष का भाव रखना चाहिए। ज्यादा लालच करने पर व्यक्ति अपनी खुशी और चैन खो देता है और आखिर में उसे कुछ हासिल नहीं होता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो जैसा आया था वैसा ही गया था। यही जीवन है और यही जीवन का सत्य है। जो आज तुम्हारा है वह कल किसी का और होगा और परसों किसी और का होगा। अगर आप इसे अपनी समझ रहे हैं तो यह आपके दुखों का कारण है।